हरियाणा

बहादुरपुर गांव के खेतों में लगी भयंकर आग, खड़ी फसल व फाने जलकर राख

बचन सिंह आर्य ने बहादुरपुर के खेतों में जाकर किसानों को ढांढस बंधाया

Haryana Weather Today: 9 जिलों में हुई झमाझम बारिश, क्या ये है बदलते मौसम की चेतावनी?
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सत्यखबर सफीदों : गेंहू के सीजन में पूरे हरियाणा प्रदेश में हर रोज कहीं ना कहीं से फसल में आगजनी के समाचार सामने आ रहे हैं लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। सरकार को चाहिए कि वह नुकसान की तुरंत प्रभाव से गिरदावरी करवाकर किसानों को मुआवजा देकर उनके नुकसान की भरपाई करें। यह बात एआईसीसी सदस्य एवं पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य ने कही। वे शुक्रवार को उपमंडल के बहादुपुर गांव के खेतों में लगी भयंकर आग का नुकसान का जायजा ले रहे थे। इस मौके पर उन्होंने खेतों में जाकर पीडि़त किसानों से बात करके उन्हे ढांढस बंधाया। उन्होंने कहा कि किसान इस देश व प्रदेश का अन्नदाता व रीढ़ की हड्डी है लेकिन सरकार धरतीपुत्र अन्नदाता की कोई सूध नहीं ले रही है। सफीदों क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणा के किसान आगजनी से दुखी हैं। जो किसान देश का पेट भरता है, उसी किसान के हालात ये हो गए है कि खेतों में आग से फसल नष्ट होने के बाद उनके पास रोटी बनाने तक के लिए अनाज नहीं बचा है। ऐसे में वह कहां से बैंकों का कर्ज भरेगा और कैसे अपने घर व शादी-ब्याह के खर्चें कर पाएगा। सरकार ने फसल बीमा योजना के नाम पर किसानों के खाते से बीमा प्रिमियम की राशी तो काट ली लेकिन अब क्लेम के नाम कहा जा रहा है कि आग से हुआ नुकसान क्लेम में शामिल नहीं है। बचन सिंह आर्य ने सरकार व बीमा कंपनी से सवाल किया कि क्या आग प्राकृतिक आपदा नहीं है? क्या सरकार क्लेम देने के लिए बारिश व ओलावृष्टि का ही इंतजार करेगी? उन्होंने फसल बीमा योजना को देश का सबसे बड़ा ठकोसला करार देते हुए कहा कि अग्रि से हुए नुकसान को भी इस स्कीम में शामिल करे अन्यथा इस निर्रथक स्कीम को सरकार तुरंत प्रभाव से बंद कर दे। उन्होंने सरकार से मांग की कि अगर बीमा कंपनी मुआवजा नहीं दे सकती है तो मुख्यमंत्री अपने राहत कोष से किसानों की मदद करे। उन्होंने सरकार से मांग की कि आग से पीडि़त किसानों को 50 हजार रूपए प्रति एकड़ तथा फाने के नुकसान का 10 हजार रूपए प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दे। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया तो वे किसानों के साथ मिलकर अनशन व आंदोलन का रूख अख्तियार करेंगे।

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